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प्रधानमंत्री जी चलिय आपने स्वीकार तो किया के देश में भ्रष्टाचार बड़ा हे. पर सीधे शब्दों में फिर भी नहीं, कहते हें की भ्रष्टाचार बदने का कारन तेजी से होता विकास हे.मनमोहन जी को क्या लगता हे की विकास को भ्रष्टाचार का कारन बताएँगे और जनता मान लेगी बिलकुल नहीं. क्या इस देश को दिखाई नहीं देता की जिस प्रकार दिन प्रतिदिन घोटाले सामने आ रहे हें क्यावो वो सारी तस्वीर स्वयं नहीं साफ़ करते.अगर इन म्हाघोतालो और भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनता आवाज़ उठाती हे तो ऐसी सरकार के मुखिया को जो सर से पैर तक घोटालेबाजों से भरी हुई हे , ये आवाज़े राष्ट्र कीछवि को नुक्सान पहुचाने वाली लगती हें . मनमोहन जी जरा ये बताएँगे की आपकी
सरकार ने देश
की शान में कितने चार चाँद लगाए हें? क्यायहाँ होने वाले घोटालो के बारे में दुसरे देश नहीं जानते. जनता को चुप कने की अपेक्षा उचित होगा की apni सरकार की तरफ भी दृष्टि डालें जो रोज़ देश के सर पर कोएला आवंटन २जी स्पेक्ट्रम जेसे तजो को बांध रही हे. रोज़ घोटाले सामने aane के बाद भी सरकार जेसा आचरण करती हे उससे यही सन्देश मिलता हे की सरकार भ्रष्टाचार के विरुद्धकुछ करने की अपेक्षा उसे दबाने और chupane के लिय puri तरह प्रयासरत हे. Sbse taaza और बड़ा उदाहरण हे रॉबर्ट वढेरा का बचाव करना. संदिग्ध सोदों के संकेत मिलने के बाद भी कांग्रेस पारी और उसकी सरकार
मानने को तयार नहीं की घोटाला हुआ हे. प्रधानमंत्री चाहे kitni
ही बार
कहे की उनकी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही करने के लिय प्रतिबद्ध हें पर सत्य तो ये हे की सरकार ऐसा
कुछ
नहीं कर रही हे अगर कुछ कर रही हे तो रोज़हो रहे घोटालो पर अपना बचाव और दे रही हे हिदायत के जनता चुप रहो देश की छवि खराब मत करो. वन्दे मातरम.
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